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Friday, January 13, 2012

मीडिया की भाषा

1. माध्यम तय करती है भाषा- पत्रकारिता करते समय आप किस तरह की भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, यह आपकी पत्रकारिता के माध्यम पर निर्भर करता है. जैसे- अगर आप आपका माध्यम रेडियो है तो

  • आपकी भाषा ज्यादा सरल होनी चाहिए

  • आप जाने-माने याने प्रचलित शब्दों का प्रयोग करें

  • आपके वाक्य छोटे-छोटे और चुटीले हों

यहां आपसे अलंकारिक और चमात्कारिक भाषा की उम्मीद नहीं की जाती है. लेकिन अगर आपका माध्यम पत्र है तो आप रेडियो की भाषा की तरह सरल, सुगम और प्रचलित भाषा का प्रयोग नहीं करें, क्योंकि यहां पाठक के पास आपकी बात समझने के लिए पर्याप्त समय होता है.

  • यहां आप प्रयोग कर सकते हैं.

  • आप अप्रचलित शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं.

  • यहां आप जटिल वाक्यों और विश्लेषणों का सहारा ले सकते हैं.

  • आपकी वर्तनी सही और वाक्य संचरना संतुलित हों.

अगर आपका माध्यम टेलीविजन है तो यहां रेडियो की अपेक्षा आपके सामने खतरा कम है, हां टेलीविजन के परदे पर लिखे जाने वाले पाठ्य की शुद्धता पर ध्यान जरूर रखे.

  • टेलीविजन के परदे पर का पाठ्य वर्तनी की दृष्टि से सही हों

  • आपकी की साफ हो

  • उच्चारण सही हों, मसलन ड़ ड और में फर्क, , स और ष में फर्क, एकार और ऐकार में अंतर, ओकार और औ-कार में फर्क

टेलीवीजिन माध्यम में चित्र और चलचित्र(विजुल) अधिक अहम हैं. क्योंकि एक चित्र हजार शब्दों के बराबर होते हैं. इसलिए यहां

  • कम से कम शब्दों से काम चलाया जा सकता है

  • यहां भी वाक्य छोटे, सरल और संतुलित हों

  • एकबार फिर, यहां परदे पर दिखने वाले पाठ्य अहम होते हैं इसलिए इनकी वर्तन शुद्ध हों.

आगे बात करेंगे, मीडिया के भाषा रूपों पर.

Friday, January 14, 2011

“गूगल बुक्स” से किताब डाऊन लोड कैसे करें।

गूगल बुक्स जालपर(ऑनलाइन) स्थित विशाल पुस्तकालय है। कुछ पुस्तकें तो मुफ्त हैं तो कुछ सर्वाधिकार सुरक्षित। अनुनाद सिंह जी ने करीब तीन सौ हिंदी पुस्तकों का लिंक अपने चिट्ठे पर दिया है. ये पुस्तकें बहुत ही उपयोगी हैं। ऐसे ही हजारों पुस्तकें गूगल बुक्स पर हैं। इन पुस्तकों को ऑन लाइन पढ़ना मुश्किल है। लेकिन डाऊनलोड करके पढ़ना और भी मुश्किल।

हॉ कुछ तरकीब हैं जिनके सहारे इन पुस्तकों को डाऊनलोड करके पढ़ा जा सकता है. ये पुस्तके इमेज(चित्र के रूप में डाऊनलोड होगी. युक्ति कुछ इस प्रकार है-

1. यह युक्ति सिर्फ मोजिला फायरफॉक्स ब्राउजर पर ही संगत है। इसलिए आपके पास फायरफॉक्स ब्राउजर नहीं है तो यहां से डॉउनलोड कर लें.

2. फिर गीजमंकी एड-ऑन इंस्टॉल कर लें. ये फॉयरफॉक्स में इंस्टॉल हो जाएगा.

3. फिर, गूगल बुक डाऊनलोड यूजर स्क्रिप्ट डाऊनलोड करके इंस्टॉल कर लें ये फॉयरफॉक्स में में इंस्टॉल हो जाएगा.

4. इसके बाद फ्लैशगॉट एडऑन डाऊनलोड कर इंस्टॉल करें ये फॉयरफॉक्स में ही इंस्टॉल हो जाएगा.

5 अब आपक गूगल बुक्स पर कोई किताब डाऊनलोड के लिए चुनें.

आपको पुस्तक के बगल में एक स्क्रीन शॉट दिखेगा. जो डाऊनलोड का चित्र है. उसे क्लिक करिए फिर क्या वह पेज डाऊनलोड हो जाएगा. उसे दाहिना क्लिक करके सेव कर लें.

इसे देखें

Monday, May 24, 2010

समाचार क्या है?

मजाक में किसी ने कहा, अगर कुत्ता आदमी को काटता है तो वो समाचार नहीं है, मगर अगर आदमी कुत्ता को काट ले तो ये समाचार कहलाएगा.
सरल शब्दों में कहें तो जो कुछ नया है, रोमांचक है, आकर्षक है, अलग है, अनुपम है, उत्सुकता बढ़ाने वाला है, चर्चा के योग्य है, वो समाचार है.
मगर, आजकल समाचार के मायने बदल गए हैं. आज के संपादक कहने लगे हैं कि पाठक या दर्शक जो कुछ पढ़ना या देखना चाहता है, वही समाचार है. पाठकों या दर्शकों की रुचि जानने के लिए अखबार या टेलीविजन सर्वेक्षण कराते है, प्रतिक्रिया मंगवाते हैं, फिर दर्शक या पाठक की मर्जी से समाचार परोसते हैं.
फिर, समाचार वही है जिसकी दर्शकों को जरूरत है, जो दर्शक जानना चाहता है, जिसमें उसकी रुचि है.
समाचार की कसौटी-समाचार में इनमें से एक या एक से ज्यादा तत्व होने चाहिए. समाचार को निम्नलिखित तथ्यों की कसौटी पर कसकर देखें कि वो समाचार के लायक है नहीं-
  • प्रभाव- किसी भी समाचार का प्रभाव इस बात से जाना जाता है कि वह कितने व्यक्ति को प्रभावित कर रहा है यानी समाचार का प्रभाव कितने लोगों पर हो रहा है. जितने ज्यादा लोगों पर समाचार प्रभावी है वह उतना बड़ा समाचार है.
  • निकटता- कोई घटना जितनी निकट में घटती है वो उतना ही बड़ा समाचार होता है. बिहार के लोगों के लिए पटना में मुख्यमंत्री क्या बोलते हैं वो ज्यादा बड़ा समाचार है, अमेरिकी राष्ट्रपति के अमेरिका में दिए बयान के मुकाबले.
  • तत्क्षणता- नयापन समाचार की आत्मा होता है. कोई समाचार एक सप्ताह बाद समाचार के लायक नहीं रह जाता है. तुरंत या तत्क्षण घटने वाली घटना बड़ी खबर है. समाचार मछली की तरह होती है, जो ताजा की अच्छी होती है. बासी कोई नहीं पसंद करता है.
  • बड़प्पन- खबर जितने बड़े लोगों की होती है, खबर उतनी बड़ी होती है. अभिषेक बच्चन के बेटे की शादी की खबर बड़ी खबर है. प्रधानमंत्री अगर सबेरे उठकर टहल रहे हों तो भी बड़ी खबर है. लालू की हरेक बयान बड़ी खबर है.
  • नयापन- खबर में नयापन, अनुपमता और रोमांच होना चाहिए यही इसका गुण होता है.
  • संघर्ष- हिंसा, युद्ध, हमला और अपराध अपने आप में बड़ी खबर है.
  • प्रासंगिकता- अगर घटना प्रासंगिक है तो समाचार है वर्ना उसे कौन पूछता है. महात्मा गांधी को हर कोई जानता है. मगर जब जेम्स ओटिस उनके कुछ सामानों की नीलामी करता है तो अखबार समाचारपत्र-टीवी महात्मा गांधी के जीवन दर्शन के बारे में बताने लगते हैं. यहां इस खबर की प्रासंगिकता है.
  • उपयोगिता- उपयोगिता भी समाचार का बड़ा गुण है. हम जो सूचना दे रहे हैं वो लोगों के लिए कितनी उपयोगी है, लोगों का जीवन उससे कितना संवरता है, उनका काम कितना आसान होता है.
  • रूचिपरकता- समाचार रुचिकर होना चाहिए. यह समाचार का सबसे बड़ा गुण है.


Sunday, May 23, 2010

कैसे लिखे समाचार?

  • field-notes
  • शुद्धता

  • स्पष्टता

  • संक्षिप्तता

  • शुद्धता, समाचार की आत्मा होती है यानी आप समाचारलिखते वक्त जो कुछ भी लिखे सही-सही लिखे, शब्द, वाक्य, आंकड़े, नाम आदि-आदि. अगर आप सही लिखतेहैं तो आपका आधा काम हुआ समझिए. अगर आपकी लिखावट शुद्ध और मानक है तभी वहपाठकों का ध्यान आकर्षित करेगी, वर्ना पाठक को आपसे दूर ले जाएगी. वैसे शुद्धता हर तरह कीलिखावट की प्रथम कसौटी है.

    सही, लिखने के साथ-साथ आप स्पष्टता और संक्षिप्तता पर भी ध्यान दें.

    खराब लिखावट बेकार लिखावट है. यह पाठक के विश्वास को खत्म करती है जो कि प्रेस कीस्वतंत्रता के लिए आवश्यक है. प्रेस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इस बात को लेकर है कि वहलोगों को सही और निष्पक्ष जानकारी मुहैया कराती है. सही और निष्पक्ष जानकारी मत निर्धारणके लिए जरूरी है क्योंकि यह सही मत स्वस्थ लोकतंत्र के भविष्य को तय करती है.

    अगर प्रेस की सच्चाई और निष्पक्षता से जनता का भरोसा उठ जाता है तो जल्द ही लोकतंत्र सेभी उसका भरोसा उठ जाएगा. इसलिए समाचार लिखते वक्त नाम, स्पेलिंग, आंकड़े, कथ्य औरतथ्य की शुद्धता पर विशेष ध्यान दें. कुल मिलाकर शुद्धता और सच्चाई को प्राथमिकता दें.

    दूसरी बात है, संक्षिप्तता. लेखन में कोई बात, कोई शब्द ऐसा नहीं हो जिसका वाक्य में कोईमतलब नहीं हो हो. इस वाक्य पर ध्यान दें-

    ने बी के ऊपर मामला दर्ज कराया.

    को अगर हम ऐसा कहें कि-

    ने बी पर मामला दर्ज कराया

    तो इससे वाक्य में संक्षिप्तता की काफी गुंजाइश बचती है. संक्षिप्तता वाक्य स्तर पर हो और न्यूजस्टोरी स्तर पर भी. न्यूज स्टोरी लिखने में उल्टा पिरामिड को ध्यान में रखें. यानी सबसे अहमसबसे ऊपर और सहायक तथ्य सबसे नीचे. ध्यान रहे अहम तथ्य सबसे ज्यादा और सहायक तथ्यसबसे कम हों.

    अब बारी तीसरी बात यानी स्पष्टता की. बात स्पष्ट हो, संपूर्ण हो ताकि पाठक के सभी सवालों केजवाब मिल जाएं. अनाप-शनाप और अनर्गल, कहने का मतलब कि बेमतलब की बात मत करें.

    बात को सामान्य शब्दों में यानी बोलचाल की भाषा में व्यक्त करें ताकि एक सामान्य व्यक्ति भीआपकी बात समझ जाए. आप जितनी बातें सोच सकते हैं उतनी लिख नहीं सकते. लिखना बहुतही मुश्किल है. आप जितना जानते हैं, उतना भी नहीं लिख सकते. कहते हैं कि व्यक्ति के पासजितना बड़ा शब्द भंडार होता है वह उसका महज एक दसवां हिस्सा ही लिख पाता है. यानी आपअपने ज्ञान का महज दस प्रतिशत प्रयोग कर सकते हैं. आप जानते हैं तो अच्छा लिख सकते हैं.

आपका उपसंपादक तय करता है कि कौन सी स्टोरी मुख्य पृष्ठ पर होगी, मगर आप अगर अच्छा लिखतेहैं तो उप-संपादक को सोचना पड़ेगा कि आपकी स्टोरी मुख्य पृष्ट पर क्यों नहीं जाए. आपकी लिखावटउप-संपादक की सोच को प्रभावित करती है. उपसंपादक की सोच पर हावी होने के लिए आपमें वो गुणहोने चाहिए. आपकी लिखावट में दम होनी चाहिए. आप घटना को शुद्ध-शुद्ध, स्पष्ट और संक्षेप में लिखें. मगर घटना के बारे में सबकुछ जाने, तभी आप बेहतर लिख सकते हैं. मतलब आप जितना जानते हैंउसका केवल दस प्रतिशत लिखें.

वाची प्रश्नों के उत्तर (क्या, कब, क्यों, कैसे, कौन, कैसे) आपकी स्टोरी में जरूर होनी चाहिए. जरूरी नहीं है कि प्रथम वाक्य में ही आप सारे प्रश्नों का उत्तर दे दें.

Thursday, December 24, 2009

मीडिया की भाषा

1. माध्यम तय करती है भाषा- पत्रकारिता करते समय आप किस तरह की भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, यह आपकी पत्रकारिता के माध्यम पर निर्भर करता है. जैसे- अगर आप आपका माध्यम रेडियो है तो

  • आपकी भाषा ज्यादा सरल होनी चाहिए

  • आप जाने-माने याने प्रचलित शब्दों का प्रयोग करें

  • आपके वाक्य छोटे-छोटे और चुटीले हों

यहां आपसे अलंकारिक और चमात्कारिक भाषा की उम्मीद नहीं की जाती है. लेकिन अगर आपका माध्यम पत्र है तो आप रेडियो की भाषा की तरह सरल, सुगम और प्रचलित भाषा का प्रयोग नहीं करें, क्योंकि यहां पाठक के पास आपकी बात समझने के लिए पर्याप्त समय होता है.

  • यहां आप प्रयोग कर सकते हैं.

  • आप अप्रचलित शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं.

  • यहां आप जटिल वाक्यों और विश्लेषणों का सहारा ले सकते हैं.

  • आपकी वर्तनी सही और वाक्य संचरना संतुलित हों.

अगर आपका माध्यम टेलीविजन है तो यहां रेडियो की अपेक्षा आपके सामने खतरा कम है, हां टेलीविजन के परदे पर लिखे जाने वाले पाठ्य की शुद्धता पर ध्यान जरूर रखे.

  • टेलीविजन के परदे पर का पाठ्य वर्तनी की दृष्टि से सही हों

  • आपकी की साफ हो

  • उच्चारण सही हों, मसलन ड़ ड और में फर्क, , स और ष में फर्क, एकार और ऐकार में अंतर, ओकार और औ-कार में फर्क

टेलीवीजिन माध्यम में चित्र और चलचित्र(विजुल) अधिक अहम हैं. क्योंकि एक चित्र हजार शब्दों के बराबर होते हैं. इसलिए यहां

  • कम से कम शब्दों से काम चलाया जा सकता है

  • यहां भी वाक्य छोटे, सरल और संतुलित हों

  • एकबार फिर, यहां परदे पर दिखने वाले पाठ्य अहम होते हैं इसलिए इनकी वर्तन शुद्ध हों.

आगे बात करेंगे, मीडिया के भाषा रूपों पर.

Sunday, December 20, 2009

पत्रकारिता की पदावलि

पत्रकारिता अब भी अंग्रेजी की वैशाखी पर चलने को मजबूर है. विभिन्न समाचार एजेंसियों से जो खबरें आती हैं वे अंग्रेजी में होती हैं और एक कुशल पत्रकार होने के नाते उसे हिंदी में समाचार के रूप में प्रस्तुत करना होता है. समाचार में शुद्धता, सटीकता, वस्तुनिष्ठता, तटस्थता और निष्पक्षता की अपेक्षा की जाती है. इसलिए अंग्रेजी के वाक्य संचरना और शब्दों को समझना होगा, जिनका प्रयोग अक्सर खबर लिखने के दौरान किया जाता है. समय समय पर हम आपको अंग्रेजी के वाक्य संरचनाओं के बारे में जानकारी देंगे, फिलहाल इन शब्दों को हृदयांगम करें. हां, अगर कोई सुझाव व अनुरोध हो तो वो भी कहना ना भूलें, ताकि विद्यापीठ को बेहतर बनाने में मदद मिले.


Chief Minister of Uttar Pradesh Mayawati has written a letter to Prime Minister to defend the Chief Justice of Karnataka High Court Dinakaran. Mayawati has claimed in the letter that during the demand for impeachment of Dinakaran, principle of natural justice has been ignored. He also appealed to the Prime Minister that Justice Dinakaran should be given a chance to present his side. It is to be noted that many dalit MP's are coming in support of Justice Dinakaran.
Defend- बचाव करना
claim- दावा करना
impeachment- महाभियोग
principle- सिद्धांत
natural justice- स्वाभाविक न्याय
ignore- अनदेखी करना
appeal- अपील करना

Rashtriya Swayansevak Sangh(RSS) Chief Mohan Bhagwat cleared that the RSS never interfere in any political outfit to elect its president and he never waste his energy over such a stuff. While addressing a public rally in Amravati of Maharashtra, Bhagwat expressed his opinion yesterday. He even pointed out that Sangh is a social organization and not a para military force. He urged to avoid the dispute over languages as all the languages are national languages. Stressing the need of preserving the Indian culture, Bhagwat quipped that our culture is supreme in the world.
Chief- प्रमुख
interfere- हस्तक्षेप करना
political outfit- राजनीतिक संगठन
para military force- अर्द्ध-सैनिक बल
national language- राष्ट्रभाषा
preserve- बचाना, रक्षा करना
indian culture- भारतीय संस्कृति
quipped- चुटीले अंदाज में कहना
Bangalore police has rescued 12 bar girls, who were all kidnapped by 6 unidentified persons in late night on Saturday in Bangalore. However, during the rescue operation, 3 police men sustained injuries, while exchanged firing between two groups in today morning. The incident occurred in Koramangal police station limits in Bangalore. Injured police men have been admitted to hospital for further treatment. Police has taken 6 persons into custody and recovered 3 cars, mobile phones and large number of weapons from arrested. According to police sources, they demanded Rs 3 lakh ransom money for their release.
Rescue- बचाना
kidnap- अपहरण करना
unidentified- अज्ञात
last night- बीती रात
rescue operation- बचाव अभियान
injury- चोट, घायल
sustain- झेलना
exchange of fire- गोलीबारी
Incident-घटना
occurred- हुआ.
Admit- भरती करना या होना, स्वीकार करना
treatment- उपचार, इलाज
custody- हिरासत
recover- बरामद होना,
weapon- हथियार
ransom-फिरौती
Newly elected BJP's National President Nitin Gadkari was given a warm welcome in Nagpur today. Thousands of BJP activists were thronged at airport to welcome their leader. After reached in Nagpur, Gadkari offered floral tributes to Dr Babasaheb Ambedkar's statue and RSS founder Dr Hedgewar's statue. Later he proceeded at his residence in a grand processions organized to greet him. It was festive mood among Nagpurkars.
Newly elected- नवनिर्वाचित
national president- राष्ट्रीय अध्यक्ष
warm welcome- गर्मजोशी से स्वागत
thronged- जमा हुए, इकट्ठा हुए
tribute- श्रद्धांजलि
statue-प्रतिमा
proceed- आगे बढ़ना

Saturday, December 19, 2009

पत्रकारिता विद्यापीठ में आपका स्वागत है


पत्रकारिता विद्यापीठ में आपका स्वागत है. यह कोई साधारण ब्लॉग नहीं है, बल्कि पत्रकारिता सीखनेवाला एक विद्यापीठ है. यहां उन सब लोगों का स्वागत है जो हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखना चाहते हैं. इस पत्रकारिता विद्यापीठ से आपको कोई डिप्लोमा या डिग्री नहीं मिलेगी और ना ही यह नौकरी दिलाने का वादा करता है, बल्कि यह आपको पत्रकारिता के वो सभी मंत्र सिखाएगा जो आपको इस क्षेत्र में स्थापित करेगा.